AZAD VIP NEWS
जनपद जौनपुर के सिकरारा विकासखंड की बाकी ग्राम सभा समेत लगभग 80 गांवों में सामुदायिक शौचालय अब शौचालय नहीं, खंडहरों की तस्वीर पेश कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार जहाँ स्वच्छ भारत मिशन के तहत करोड़ों रुपए झोंक रही हैं, वहीं जमीनी हकीकत विकास नहीं, विनाश की कहानी कह रही है।
वीडीओ, सचिव और प्रधान की कथित मिलीभगत से सामुदायिक शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं। निर्माण के कुछ ही समय में ढह चुके ये ढांचे, अब शराबियों का अड्डा बन चुके हैं। सफाईकर्मियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं—जो ब्लॉक और प्रधान के यहां हाज़िरी देकर, वास्तविक काम से कोसों दूर हैं।
ग्राम सभा बाकी के प्रधान का बयान भी दिलचस्प है:
> "यह मेरे कार्यकाल का शौचालय नहीं है।"
लेकिन फिर सवाल उठता है—तो जवाबदेह कौन है?
लगभग 4 से 5 लाख रुपये की लागत से बने इन शौचालयों की हालत देख प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठना लाज़मी है। अब देखना यह है कि जौनपुर के डीएम और शासन-प्रशासन इस रिपोर्ट पर कोई एक्शन लेते हैं या फिर यह मामला भी फाइलों की गर्द में दब जाएगा?
रिपोर्ट: प्रधान प्रमुख संपादक आजाद यादव जौनपुर उत्तर प्रदेश