जनपद जौनपुर के राधिका मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, रसैना तिराहा कूददूपुर में डॉ. इप्शिता सिंह द्वारा एक मरते हुए मरीज को नया जीवनदान देने की घटना इन दिनों पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।
बताया जा रहा है कि मरीज की हालत इतनी गंभीर थी कि जौनपुर सदर अस्पताल से उसे वाराणसी ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया था। सरकारी डॉक्टरों ने साफ शब्दों में कह दिया था कि अब मरीज का बचना बेहद मुश्किल है। परिवार टूट चुका था, उम्मीदें लगभग समाप्त हो चुकी थीं।
इसी बीच मरीज को राधिका मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल लाया गया, जहाँ डॉ. इप्शिता सिंह और उनकी टीम ने न केवल मरीज की स्थिति को संभाला, बल्कि 15 दिनों के भीतर उसे पूरी तरह ठीक भी कर दिया।
मरीज के परिजनों ने भावुक होकर डॉ. इप्शिता सिंह को माला पहनाकर, फूलों से सम्मानित किया और आभार व्यक्त की।
"डॉक्टर नहीं, साक्षात भगवान हैं"
जब यह खबर सोशल मीडिया और स्थानीय अख़बारों के माध्यम से लोगों तक पहुँची, तो चारों ओर से बधाइयों और शुभकामनाओं की बौछार होने लगी। क्षेत्र के लोग गर्व से कहने लगे — "आज भी डॉक्टर भगवान के रूप में मौजूद हैं।"
> "जब कुछ अस्पतालों में मरीजों के साथ धोखाधड़ी, अत्यधिक बिल और लापरवाही जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं, तब डॉ. इप्शिता सिंह जैसी डॉक्टरें इस पेशे की गरिमा और इंसानियत की मिसाल बनती हैं।"
डॉ. इप्शिता सिंह ने कहा:
> "डॉक्टर से पहले मैं एक इंसान हूं। गरीब और जरूरतमंदों की सेवा ही मेरा धर्म है। मेरा अस्पताल हमेशा उन लोगों के लिए खुला रहेगा जिन्हें जरूरत है।"
रिपोर्ट : प्रधान प्रमुख संपादक आजाद यादव जौनपुर उत्तर प्रदेश