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"साफ-सफाई छह महीने में एक बार!"
जौनपुर जनपद के मड़ियाहूं ब्लॉक अंतर्गत कुंभ ग्राम सभा से एक चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। यहां के सामुदायिक शौचालय में सफाई छह महीने में केवल एक बार की जाती है। यह जानकारी स्वयं शौचालय की केयरटेकर महिला ने दी। उनका साफ़ कहना है कि जब उन्हें छह महीने में एक बार वेतन मिलता है, तभी वह सफाई का कार्य करती हैं।
ग्राम प्रधान बोले: "शौचालय टकाटक है"
इस मामले को लेकर जब ग्राम प्रधान से बातचीत की गई तो उन्होंने दावा किया कि सामुदायिक शौचालय पूरी तरह साफ-सुथरा और व्यवस्थित है। लेकिन ज़मीनी हकीकत उनके दावे से बिल्कुल उलट है। इससे साफ जाहिर होता है कि ग्राम प्रधान की निगरानी और ज़िम्मेदारी पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकारी धन का हो रहा है बंदरबांट?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं के बावजूद, फंड के बंदरबांट से ज़मीनी लाभ नहीं मिल पा रहा है। शौचालय निर्माण व रखरखाव में करोड़ों की धनराशि खर्च हो चुकी है, लेकिन सफाई की व्यवस्था राम भरोसे है।
ADO पंचायत का दावा: "99% शौचालय चालू"
ब्लॉक स्तर पर जब ADO पंचायत प्रदीप कुमार से बात की गई तो उन्होंने दावा किया कि मड़ियाहूं ब्लॉक के 99% सामुदायिक शौचालय चालू हालत में हैं। लेकिन कुंभ ग्राम की स्थिति इस दावे को पूरी तरह खारिज करती है।
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मुख्य सवाल यह है:
अगर फंड नियमित आ रहा है, तो सफाई क्यों नहीं हो रही?
छह महीने में एक बार वेतन देना क्या योजनाओं की सफलता को दर्शाता है?
ग्राम प्रधान के दावे और ज़मीनी सच्चाई में इतना अंतर क्यों?
यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि स्वच्छ भारत मिशन जैसे महत्वपूर्ण अभियान की साख को भी चोट पहुंचाता है। जरूरत है ज़मीनी स्तर पर सख्त निगरानी और जवाबदेही तय करने की।
रिपोर्ट :प्रधान प्रमुख संपादक आज़ाद यादव जौनपुर उत्तर प्रदेश